काम यही है शाम सवेरे By Ghazal << यक़ीं गुम हो चुका हम से ग... जब से जाना है ग़म-ए-ज़ीस्... >> काम यही है शाम सवेरे तेरी गली के सौ सौ फेरे सामने वो हैं ज़ुल्फ़ बिखेरे कितने हसीं हैं आज अंधेरे हम तो हैं तेरे पूजने वाले पाँव न पड़वा तेरे मेरे दिल को चुराया ख़ैर चुराया आँख चुरा कर जा न लुटेरे Share on: