कमाल-ए-हुस्न-ओ-सदाक़त तलाश करता हूँ हर एक शय में हक़ीक़त तलाश करता हूँ अदब कि दीन सियासत कि फ़ल्सफ़ा सब में निशान-ए-फ़िक्र-ओ-बसीरत तलाश करता हूँ टटोलता हूँ हर इक दिल अमीक़ नज़रों से ख़ुलूस-ओ-मेह्र-ओ-मोहब्बत तलाश करता हूँ जो राहतों की मनाज़िल से हम-कनार करे वो रहनुमा वो क़यादत तलाश करता हूँ मैं अपनी जेहद-ए-मुसलसल की तह में ऐ 'मक़बूल' वक़ीअ' ख़्वाब की जन्नत तलाश करा हूँ