क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है गले में सितारों की ज़ंजीर है कहाँ पा-ए-जानाँ कहाँ मेरा सर ये तालेअ् ये क़िस्मत ये तक़दीर है ख़फ़ा आप से आप होते हो क्यूँ बता दो जो कुछ मेरी तक़्सीर है न खोलो ख़त उस का धड़कता है दिल ख़ुदा जाने क्या इस में तहरीर है नुमायाँ है क़ौस-ए-क़ुज़ह अब्र में मिसी पर लिखौटे की तहरीर है मुनासिब है कुछ खा के मर जाओ 'बर्क़' यही दर्द-ए-फ़ुर्क़त की तदबीर है