काँधों पे उन के अपना ये सर थोड़ी देर था जन्नत में ज़िंदगी का सफ़र थोड़ी देर था मिलने के बाद उन से फ़क़त इतना याद है मेरा वजूद मेरा हुनर थोड़ी देर था महफ़िल में नाम का तिरे चर्चा जो आ गया मैं क्या बताऊँ तुझ को किधर थोड़ी देर था बाँहों में आ गए वो अचानक ही जब मेरी मैं सच बताऊँ मुझ में भी डर थोड़ी देर था साथी भी साथ अपने खिलौने भी ख़्वाब भी साहिल की रेत पे कोई घर थोड़ी देर था