काँटों में जो फूल खिला है जब देखो हँसता रहता है डाली पर इक पीला पत्ता जाने क्या गिनता रहता है सुनते हैं इक हवा का झोंका इक ख़ुशबू को ले भागा है बहते पानी पर दीवाना किस को ख़त लिखता रहता है सोने चाँदी की जगमग ने सब को अंधा कर रक्खा है इक चिड़िया के आ जाने से सारा घर आँगन चहका है