कर सैर अपने दिल की है नूर का तमाशा हाँ देख बन के मूसा इस तूर का तमाशा नाज़िर वही नज़र भी मंज़ूर भी वही है नज़्ज़ारे का है मज़हर मंज़ूर का तमाशा ये क़ुर्ब बोद क्या है तक़रीब-ए-मा-सिवा है है तर्क-ए-मा-सिवा में ये दूर का तमाशा सूरत का शेफ़्ता हो ज़ाहिर हो हर्फ़ मा'नी मंसूर की है सूरत मंसूर का तमाशा तामीर-ए-वक़्त में है वीरानी-ए-वसावस वीराँ-कदे में देखा मा'मूर का तमाशा ख़ुम-ख़ाना इश्क़ का है पीर-ए-मुग़ाँ की सोहबत रिंदान-ए-मस्त देखा मख़मूर का तमाशा अरिनी-ओ-लन-तरानी है सिर्र-ए-इश्क़ 'साक़ी' राज़-ओ-नियाज़ में है मस्तूर का तमाशा