करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो यहाँ गुमान-ए-ख़तर है क़दम बढ़ाए चलो यहाँ फ़रेब-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ अक्सर है ख़ुदा के वास्ते इतना न मुँह उठाए चलो शिकस्ता-पा हूँ कहीं साथ से न रह जाऊँ मुझे भी हाथ ज़रा दोस्तो लगाए चलो अभी तो हुस्न-ए-अमल का ज़माना बाक़ी है वहाँ की बिगड़ी हुई कुछ यहीं बनाए चलो इधर-उधर कहीं भर कर तरारा जा न पड़े समंद-ए-उम्र-ए-रवाँ को ज़रा दबाए चलो अदम में तरसोगे दर्द-ए-जिगर को ऐ 'तस्लीम' जो हो सके कोई सीने पे तीर खाए चलो