क़सम ख़ुदा की न जाना कहीं नहीं जाना बहुत बुरा है ज़माना कहीं नहीं जाना रुको रुको मिरे भाई पते की बात सुनो यहीं दबा है ख़ज़ाना कहीं नहीं जाना अगर तुम्हें कभी जाना हो तुम चले जाना मुझे तो वा'दा निभाना कहीं नहीं जाना सितारा ख़ुद ही मिरा जब तवाफ़ करता है तो फिर मुझे कहाँ जाना कहीं नहीं जाना यूँ ही कोई नहीं बनता है वक़्त का सरदार कटे तो सर भी कटाना कहीं नहीं जाना ये दर्द-ए-इश्क़ तिरा ला-इलाज है 'यहया' उसे कभी नहीं जाना कहीं नहीं जाना