क़ासिद तो लिए जाता है पैग़ाम हमारा पर डरते हुए ले जो वहाँ नाम हमारा क्या ताब है जो सामने ठहरे कोई उस के आफ़त है ग़ज़ब है वो दिल-आराम हमारा आग़ाज़ ने तो इश्क़ के ये हाल दिखाया अब देखिए क्या होवेगा अंजाम हमारा ऐ चर्ख़ इसी तरह तू गर्दिश में रहेगा पर तुझ से न निकलेगा कभू काम हमारा ऐ पीर-ए-मुग़ाँ देखियो 'आसिफ़' ये कहे है ख़ाली न रहे मय से सदा जाम हमारा