कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत सोच से ही सारी उलझन है जीते जाओ सोचो मत लिखा हुआ किरदार कहानी में ही चलता फिरता है कभी है दूरी कभी मिलन है जीते जाओ सोचो मत नाच सको तो नाचो जब थक जाओ तो आराम करो टेढ़ा क्यूँ घर का आँगन है जीते जाओ सोचो मत हर मज़हब का एक ही कहना जैसा मालिक रक्खे रहना जब तक साँसों का बंधन है जीते जाओ सोचो मत घूम रहे हैं बाज़ारों में सरमायों के आतिश-दान किस भट्टी में कौन ईंधन है जीते जाओ सोचो मत