कौन है बच गया जो उल्फ़त से अब ख़ुदा ही बचाए तोहमत से हो गई है हवा भी ज़हरीली ले नहीं सकते साँस राहत से तुम मिरे सामने रहो कुछ वक़्त आँख भर देख लूँ मोहब्बत से तू मिरी दिलबरी भी देखेगा आ कभी मुझ को मिलने फ़ुर्सत से मुद्दतों साथ वो रहा मेरे कुछ बदलता नहीं है सोहबत से बाँटते हैं मोहब्बतें हर सम्त अपनी बनती नहीं अदावत से इन से निस्बत रखा करें 'अफ़ज़ल' संत मिलते हैं अब ग़नीमत से