कौन है जिस का सारा दुख है दुख भी जिस का चारा दुख है मीठी बातें करता है वो और आँखों में खारा दुख है मैं औरत हूँ मुझ से मलिए मेरा मिट्टी गारा दुख है इश्क़ में दुख ही चारा समझा और वज्ह बेचारा दुख है देख ख़ुदा अब तेरे होते मेरा सिर्फ़ सहारा दुख है एक किनारा तुम हो या'नी मेरा एक किनारा दुख है हँसते रहते हैं हम दोनों मैं हूँ दुख का मारा दुख है