कौन है किस का ये पैग़ाम है क्या अर्ज़ करूँ ज़िंदगी नामा-ए-गुमनाम है क्या अर्ज़ करूँ दे के वो दावत-ए-नज़्ज़ारा जहाँ फिर न मिला ये वही जल्वा-गह-ए-आम है क्या अर्ज़ करूँ ज़िंदगी उस ने बदल कर मिरी रख दी ऐसी न मुझे चैन न आराम है क्या अर्ज़ करूँ हसरत-ओ-यास का मस्कन है मिरा ख़ाना-ए-दिल सूना सूना ये दर-ओ-बाम है क्या अर्ज़ करूँ आगे पीछे है मिरे एक मसाइब का हुजूम आज नाकामी बहर-गाम है क्या अर्ज़ करूँ मेरी क़िस्मत में लिखी तिश्ना-लबी है शायद उस के हाथों में भरा जाम है क्या अर्ज़ करूँ जब से वो ख़ाना-बर-अंदाज़ है सरगर्म-ए-अमल जिस तरफ़ देखिए कोहराम है क्या अर्ज़ करूँ सुब्ह-ए-उम्मीद कब आएगी न जाने 'बर्क़ी' मुज़्तरिब दिल ये सर-ए-शाम है क्या अर्ज़ करूँ