कौन किस बात पर ख़फ़ा हो जाए कुछ न बोलूँ अगर पता हो जाए मुझ को रस्ते में छोड़ने वाले तू किसी और से जुदा हो जाए अपने दिल का बयान ले लीजे इस से पहले कि फ़ैसला हो जाए लगने लगता हूँ ख़ुद को मैं अच्छा सामने वाला जब बुरा हो जाए कौन सज्दे में सर झुकाएगा शहर का शहर जब ख़ुदा हो जाए मुझ को जन्नत की सम्त ले जाओ इस से पहले कि कुछ ख़ता हो जाए मैं भी इक हिज्र काट आया हूँ तुझ को भी इश्क़ दूसरा हो जाए