क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना By Ghazal << सनम के कूचे में छुप के जा... कल चमन में गुल-ओ-समन देखा >> क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना तअ'ज्जुब से वो बोला यूँ भी होता है ज़माने में दिल-ए-नाज़ुक पे उस के रहम आता है मुझे 'ग़ालिब' न कर सरगर्म उस काफ़िर को उल्फ़त आज़माने में Share on: