खा जाएगा ये जान को आज़ार देखना By Ghazal << कौन से जज़्बात ले कर तेरे... शाम ढलते देर तक छत पर खड़... >> खा जाएगा ये जान को आज़ार देखना पहरों किसी को सूरत-ए-दीवार देखना आहट सी एक पाना दर-ए-जाँ के आस-पास साया सा इक फ़सील के उस पार देखना मेरे लिबास में कभी फिर कर गली गली मेरी नज़र से शहर का किरदार देखना Share on: