खा के सूखी रोटियाँ पानी के साथ जी रहा था कितनी आसानी के साथ यूँ भी मंज़र को नया करता हूँ मैं देखता हूँ उस को हैरानी के साथ घर में इक तस्वीर जंगल की भी है राब्ता रहता है वीरानी के साथ आँख की तह में कोई सहरा न हो आ रही है रेत भी पानी के साथ ज़िंदगी का मसअला कुछ और है शे'र कह लेता हूँ आसानी के साथ