ख़ून के दरिया बह जाते हैं ख़ैर और ख़ैर के बीच अपने-आप में सब सच्चे हैं मस्जिद ओ दैर के बीच लाग हो या कि लगन हो दोनों एक दिए की लवें एक ही रौशनी लहराती है प्यार और बैर के बीच दिल में धूप खिले तो अंधेरे छट जाते हैं आप अब हम फ़र्क़ रवा नहीं रखते यार और ग़ैर के बीच सोच-समझ सब सच है लेकिन दिल की बात है और दूर थी यूँ तो आँख भँवर की पहुँचा तैर के बीच जाते हो प क़दम उठने से पहले ध्यान रहे उम्र का फ़ासला हो सकता है पैर और पैर के बीच देखती आँख 'ज़िया' हैराँ है देख के दहर के रंग पल की पल में बदल जाते हैं मंज़र सैर के बीच