ख़त्म छुट्टी मदरसे का दर खुला अक़्ल-ओ-दानिश इल्म-ओ-फ़न का घर खुला फिर वही स्कूल की सर-गरमियाँ फिर वही ता'लीम का दफ़्तर खुला मेरी ता'लीमी लियाक़त का भरम इम्तिहाँ के बाद ही अक्सर खुला मास्टर साहब के ग़ुस्से का सबब बे-ख़ता मा'सूम बच्चों पर खुला मेरी आँखें नींद से बोझल हुईं जब नज़र आया कोई बिस्तर खुला चाँद तारों को हँसी आने लगी मेरा बस्ता जब खुली छत पर खुला जी में आता है लगाऊँ इक चपत देखता हूँ जब किसी का सर खुला 'कैफ़' मेरी नाक में दम आ गया जब कभी मुझ से कोई टीचर खुला