ख़ूब तुम तोहफ़ा-ए-आशिक़ी दे गए आँखों में उम्र-भर की नमी दे गए धूप में दे के साया ये बूढे शजर कितने पेड़ों को शाख़ें हरी दे गए हादसे ज़िंदगी में कुछ ऐसे हुए दुश्मनों से जो वाबस्तगी दे गए उन के जल्वों की है बात ही कुछ अलग इश्क़ को मेरे शाइस्तगी दे गए आँख अदब ज़ुल्फ़ तहज़ीब आरिज़ सुख़न और तिरे लब मुझे शाइ'री दे गए