ख़ुद अपने दिल में ख़राशें उतारना होंगी अभी तो जाग के रातें गुज़ारना होंगी तिरे लिए मुझे हँस हँस के बोलना होगा मिरे लिए तुझे ज़ुल्फ़ें सँवारना होंगी तिरी सदा से तुझी को तराशना होगा हवा की चाप से शक्लें उभारना होंगी अभी तो तेरी तबीअ'त को जीतने के लिए दिल ओ निगाह की शर्तें भी हारना होंगी तिरे विसाल की ख़्वाहिश के तेज़ रंगों से तिरे फ़िराक़ की सुब्हें निखारना होंगी ये शाइ'री ये किताबें ये आयतें दिल की निशानियाँ ये सभी तुझ पे वारना होंगी