ख़ुद मैं ही गुज़र के थक गया हूँ मैं काम न कर के थक गया हूँ ऊपर से उतर के ताज़ा-दम था नीचे से उतर के थक गया हूँ अब तुम भी तो जी के थक रहे हो अब मैं भी तो मर के थक गया हूँ मैं या'नी अज़ल का आर्मीदा लम्हों में बिखर के थक गया हूँ अब जान का मेरी जिस्म शल है मैं ख़ुद से ही डर के थक गया हूँ