ख़ुदा करे रहे जारी पयाम-ए-यार निसार कि तेरे बा'द ये है तेरी यादगार निसार किसी की भी नहीं सुनते हैं आज यार निसार हज़ार कोई पुकारा करे निसार निसार छलकते जाम हैं हूरें हैं बाग़-ए-जन्नत है उड़ा रहे हैं मज़े क्या तह-ए-मज़ार निसार दम-ए-अख़ीर कुछ इस तरह फेर लीं आँखें न थे ज़माने में गोया किसी के यार निसार रवा-रवी में उतारे न अक्स भी उतरा हवा के घोड़े पर आए थे क्या सवार निसार ये उस की शान-ए-करीमी निसार को बख़्शा हज़ार बार फ़िदा हैं हज़ार बार निसार बिछड़ने वालो कभी तुम न छोड़ना दामन चले हैं लूटने फ़िरदौस की बहार निसार अभी ये फूट के रोए न लूँ जो ज़ब्त से काम भरी है मुझ से बहुत चश्म-ए-अश्क-ए-बार निसार 'रियाज़' फ़ातिहा पढ़ने न तुम गए अब तक तुम्हारे वास्ते हैं महव-ए-इंतिज़ार निसार