ख़ुश रहना अब ठान लिया है By Ghazal << मैं ग़रीब था सही पर मिरा ... कलियों को मेरे फूल मिरे आ... >> ख़ुश रहना अब ठान लिया है यारों को पहचान लिया है मतलब के सब यार यहाँ पर सब के सब होश्यार यहाँ पर तन का कोई धन का ख़्वाहाँ मत ढूँडो याँ मन का ख़्वाहाँ हम ने रक्खे हम ने पाले कुछ गोरे और मन के काले उल्टा जादू कर जाते हैं सीधा उल्लू कर जाते हैं Share on: