ख़ुशी में भी नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ हूँ ज़मीन-ओ-आसमाँ का तर्ज़-दाँ हूँ मैं अपनी बे-निशानी का निशाँ हूँ हुजूम-ए-मातम-ए-उम्र-ए-रवाँ हूँ तिरे जाते ही मेरी ज़ीस्त तोहमत नहीं मिलता पता अपना कहाँ हूँ ग़ुबार-ए-कारवान-ए-मोर है ज़ीस्त ये ख़त्त-ए-यार से आशुफ़्ता-जाँ हूँ नहीं कुछ काम बख़्त-ओ-आसमाँ से मैं नाकामी में अपनी कामराँ हूँ नहीं दम मारने का दम और उस पर सरापा शम्अ' साँ शक्ल-ए-ज़बाँ हूँ ख़ुदा ही गर न दे माशूक़-ओ-मय को तो क्यूँ फिर मोहतसिब से सरगिराँ हूँ वहाँ का रंग-ए-पर्रां आसमाँ है मैं जिस आलम की तस्वीर-ए-गुमाँ हूँ कोई आवारा मिल जाए तो पूछूँ किधर से आया हूँ जाता कहाँ हूँ निकल जाता है जी हर आरज़ू पर पए-ख़ून-ए-जवानी में जवाँ हूँ मिरा ग़म इशरत-ए-रफ़्ता का नग़्मा कि मिस्ल-ए-गर्द बू-ए-कारवाँ हूँ कवाकिब-हा-ए-क़िस्मत आसमाँ पर न हूँ क्यूँ नुक्ता-चीं मैं नुक्ता-दाँ हूँ 'क़लक़' बे-रौनक़ी रौनक़ है मेरी बहार-ए-उम्र-ए-हस्ती की ख़िज़ाँ हूँ