ख़ुशी याद आई न ग़म याद आए मोहब्बत के नाज़ ओ निअम याद आए ये क्यूँ दम-ब-दम हिचकियाँ आ रही हैं किया याद तुम ने कि हम याद आए गुलों की रविश देख कर गुलसिताँ में शहीदों के नक़्श-ए-क़दम याद आए बुरों का बहुत नाम जपती है दुनिया जो अच्छे ज़ियादा थे कम याद आए दम-ए-नज़अ जूँही अजल मुस्कुराई अचानक तुम्हारे करम याद आए मुसीबत में भी बार-हा 'वज्द' मुझ को ख़ुदा जानता है सनम याद आए