ख़ुश्क आँखों में कुछ नमी के लिए दिल परेशाँ है इक ख़ुशी के लिए आप रूठें तो दिल ये तड़पेगा साँस टूटे न नग़्मगी के लिए इस को जादू नहीं तो क्या कहिए दिल मचलता है अजनबी के लिए जिस ने थामा है दिल से हाथ मिरा दिल धड़कता है बस उसी के लिए हम से क़ाएम है हुस्न की दुनिया इश्क़ है हुस्न-ए-ज़िंदगी के लिए फूल इक दर पे उस के छोड़ आया मैं ने दानिस्ता मुख़बिरी के लिए वक़्त मरहम है ज़ख़्म भर देगा चाहिए सब्र ज़िंदगी के लिए दुश्मनी कब थी हासिल-ए-'मक़्सूद' हाथ बढ़ते हैं दोस्ती के लिए