ख़याल इस बात का दिल से मिरे अक्सर नहीं जाता मैं घर जाने की जल्दी में उमूमन घर नहीं जाता मुझे इक मसअला दरपेश है कि हाथ तो मेरे तिरे पाँव तलक जाते हैं लेकिन सर नहीं जाता किसी की बद-दुआ' है या मिरे पाँव नहीं मेरे जहाँ जाना ज़रूरी हो वहाँ अक्सर नहीं जाता वो मेरे साथ चलता है कि मैं तन्हा न हो जाऊँ मगर इक फ़ासला रख कर जहाँ पत्थर नहीं जाता ग़लत-फ़हमी में मत रहना त'अल्लुक़ टूट जाए तो त'अल्लुक़ मार देता है त'अल्लुक़ मर नहीं जाता