ख़याली ताक़चे में धर दिया दिया लोगो किसी ने जैसा कहा मैं ने वो किया लोगो ये सोच कर कि निशानी है जाने वाले की वो ज़ख़्म मैं ने कभी भी नहीं सिया लोगो न चाह कर भी मैं घुंघरू गवारा कर लूँगी किसी भी तौर से माने मिरा पिया लोगो मैं जिस के हिज्र में घुट घुट के मरने वाली हुई वो शख़्स खुल के मिरी ज़िंदगी जिया लोगो 'हुमा' हथेली की हर हर लकीर में वो है किसी ने कैसे उसे अपना लिख लिया लोगो