ख़्वाब में याद के चेहरे आए दूर से उड़ के परिंदे आए जिस क़दर ख़्वाब थे ख़ुशबू बन कर पर्दा-ए-गुल में महकने आए उस के आँगन में शुआएँ उतरीं चाँद तारों के नविश्ते आए देखना उस की झुकी पलकों को चाँद जब शाख़ों में छुपने आए उस की ख़ुशबूएँ जो बाहर फैलीं दूर नज़दीक से रिश्ते आए