ख़्वाबों की दुनिया फिर से दिखला दो अम्माँ सोने जागने वाली गुड़िया ला दो अम्माँ मैं दुनिया की चालाकी को जान ना पाऊँ मुझ को मेरा भोला-पन लौटा दो अम्माँ हर चेहरे के पीछे इक चेहरा दिखता है दिल की आँखों से ये भेद छुपा दो अम्माँ दुनिया को ख़ुश करते करते थक जाती हूँ होंटों पर सच्ची मुस्कान सजा दो अम्माँ धूप उगे तो कोई फूल नहीं खिलता है आँगन के इन पौदों को ये सुझा दो अम्माँ जब तुम ने हम सब को इक ही लहू पिलाया रंग बिरंगे क्यों हैं हम बतला दो अम्माँ नींद कहाँ की ख़्वाबों से अब कैसा रिश्ता ख़ाली लोरी दे कर ही बहला दो अम्माँ आँखों के आईनों में धुँदला-पन क्यों है भूले से ही दिल की बात बता दो अम्माँ