की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं when she's loyal to me others, carp cavil complain to rant against what's good has been the world's refrain आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से कहने जाते तो हैं पर देखिए क्या कहते हैं for sake of my afflictions i do go to her today but when i get there let us see what i have to say अगले वक़्तों के हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो जो मय ओ नग़्मा को अंदोह-रुबा कहते हैं these people are from other times nothing to them tell they who think that wine and song can sorrows repel दिल में आ जाए है होती है जो फ़ुर्सत ग़श से और फिर कौन से नाले को रसा कहते हैं she comes into my heart when i recover from my thrall if not an answer to ones prayers what this can you then call है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद क़िबले को अहल-ए-नज़र क़िबला-नुमा कहते हैं the one i bow to is beyond, what knowledge can see the wise ones deem the qaaba merely to a compass be पा-ए-अफ़गार पे जब से तुझे रहम आया है ख़ार-ए-रह को तिरे हम मेहर-ए-गिया कहते हैं since you have shown kindness to my wounded feet i am thankful to these thorns lying on the street इक शरर दिल में है उस से कोई घबराएगा क्या आग मतलूब है हम को जो हवा कहते हैं in my heart there is a spark, why should it cause fright i breathe to give it air as i hope it would ignite देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग उस की हर बात पे हम नाम-ए-ख़ुदा कहते हैं what colours will her mischievous pride today reveal at everything she says i will to god's mercy appeal 'वहशत' ओ 'शेफ़्ता' अब मर्सिया कहवें शायद मर गया 'ग़ालिब'-ए-आशुफ़्ता-नवा कहते हैं by vahshat and sheftaa,today, elegies may be read that rambling gaalib, we have heard, finally is dead