किस क़दर ख़ुश था कभी यारों के बीच अब तरसता हूँ मैं ख़र-कारों के बीच कुछ ख़बर भी है मिरी कुटिया तुझे घिर गई है कितने ज़रदारों के बीच देख कर दुश्मन मिरा रोने लगा खिलखिलाया मैं जो अँगारों के बीच क्या करेगा सर पकड़ने के सिवा इक मसीहा इतने बीमारों के बीच जाने क्यूँ दीवार टेढ़ी हो गई और वो भी इतने मे'मारों के बीच मेरा गिर्या राएगाँ जाने लगा क्या हुआ हासिल रिया-कारों के बीच रह सकेंगी किस तरह परवाज़ ख़ुश चंद साँसें इतने आज़ारों के बीच