किस ख़ुशी की तलब नहीं दिल में दर्द कुछ बे-सबब नहीं दिल में आप का इंतिज़ार है फिर भी बेकली गो कि अब नहीं दिल में ग़म-ए-दौराँ का हो हरा वर्ना आप की याद कब नहीं दिल में जाने क्या गुल खिलाए शाम-ए-बहार हसरत-ए-ज़ुल्फ़-ओ-लब नहीं दिल में कौन सी है वो आरज़ू कि 'सलाम' आज भी तिश्ना-लब नहीं दिल में