किस मुँह से करूँ मैं तन-ए-उर्यां की शिकायत दामाँ की शिकायत न गरेबाँ की शिकायत कैसा ही खटकता रहे दिल में मिरे पैकाँ मुझ से तो न होगी कभी मेहमाँ की शिकायत इतना भी तग़ाफ़ुल नहीं अच्छा कहीं तुम को करनी न पड़े शोरिश-ए-पिन्हाँ की शिकायत अल्लाह रखे मिरे तसव्वुर को सलामत तुझ को तो नहीं है शब-ए-हिज्राँ की शिकायत हों लंग मगर वाक़िफ़-ए-आदाब-ए-जुनूँ हूँ मैं कुफ़्र समझता हूँ बयाबाँ की शिकायत कहती है तिरी चश्म की गर्दिश मिरे होते कोई न करे गर्दिश-ए-दौराँ की शिकायत जाते तो हो काबे को ख़ुदा के लिए 'माइल' करना न किसी दुश्मन-ए-ईमाँ की शिकायत