किस ने अपना दिल जलाया रात की दहलीज़ पर कौन है नग़्मा-सरा सदमात की दहलीज़ पर ऐ ख़ुदा आसूदगी का एक लम्हा मेरे नाम उम्र गुज़री है मिरी ख़दशात की दहलीज़ पर उम्र भर इस धूप में बे-साएबाँ मैं भी रही मुंतज़िर वो भी रहा हालात की दहलीज़ पर कौन ज़ेवर चाहतों के और टूटी चूड़ियाँ रख गया है एक बिछड़ी रात की दहलीज़ पर