किस क़यामत का अदाकार छुपा है मुझ में मेरा ही हाशिया-बरदार छुपा है मुझ में मेरी ताईद के अस्बाब बनाने वालो ख़ुद मिरी ज़ात का इंकार छुपा है मुझ में बस तिरे ग़म को समझता है इबादत अपनी वो जो इक तेरा अज़ादार छुपा है मुझ में बे-नियाज़ी मिरी दुनिया से बताती है मुझे हो न हो कोई समझदार छुपा है मुझ में आ ज़ुलेख़ा मिरी आँखों से मिरे दिल में उतर देख इक मिस्र का बाज़ार छुपा है मुझ में मेरी फ़ितरत है ज़माने से मोहब्बत करना लोग कहते हैं कि मक्कार छुपा है मुझ में जिस ने आदम को निकलवाया था जन्नत से कभी बस वही एक गुनहगार छुपा है मुझ में तुझ से झगड़ूँ तो मुक़ाबिल मिरे आ जाता है ऐसा इक तेरा तरफ़-दार छुपा है मुझ में ये अलग बात कि ज़ाहिर नहीं होता है कभी वैसे इक शख़्स मज़ेदार छुपा है मुझ में मेरे बातिन में जो हर सम्त है ख़ुशबू मे'राज ये सबब है कि मिरा यार छुपा है मुझ में