किसे ख़बर इब्तिदा की अंजाम कौन जाने गुमान बातिल ख़याल सब ख़ाम कौन जाने तमाम लफ़्ज़ों का एक मफ़्हूम कौन समझे तमाम चीज़ों का एक ही नाम कौन जाने पुजारियों के लिए अज़ल से तड़प रहे हैं समय के पहलू में कितने असनाम कौन जाने निकल के दिन की तमाज़तों से वफ़ा का सूरज हुआ है ख़ूँ किस तरह सर-ए-शाम कौन जाने उदास जज़्बों के दलदली रास्तों पे 'आ'ली' सँभल गया चल के गाम-दो-गाम कौन जाने