किसी आवाज़ के पीछे गए हैं न-जाने किस तरफ़ बच्चे गए हैं बहुत कुछ हम ने बदला है अगरचे मुक़द्दर अर्श पर लिखे गए हैं तिजारत-गाह-ए-दुनिया का न पूछो यहाँ इंसान तक बेचे गए हैं घने अश्जार भी रस्ते में आए मगर हम हैं कि बस चलते गए हैं ब-सू-ए-आब प्यासे ख़्वाब ले कर हम अपने साए से पहले गए हैं हम अपने घर नहीं ले जा सके कुछ हमेशा राह में लूटे गए हैं