किसी के नक़्श-ए-क़दम का निशाँ नहीं मिलता वो रहगुज़र हूँ जिसे कारवाँ नहीं मिलता क़दम क़दम पे तिरी राह में फ़लक हाइल मुझे तलाश से भी आसमाँ नहीं मिलता उन्हें तरीक़ा-ए-लुत्फ़-ओ-करम नहीं मालूम हमें सलीक़ा-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ नहीं मिलता उरूस-ए-दहर को ग़ाज़ा भी चाहिए लेकिन ग़ुबार-ए-जादा-ए-अम्न-ओ-अमाँ नहीं मिलता धड़क रहा है हर अहल-ए-वफ़ा के सीने में हमारा दर्द भरा दिल कहाँ नहीं मिलता सभी को दा'वा-ए-महर-ओ-वफ़ा है दुनिया में जो मेहरबाँ न हो वो मेहरबाँ नहीं मिलता ग़म-ए-हयात के पुर-हौल क़हक़हों के सिवा कहीं से अपना जवाब-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिलता दिल-ए-शिकस्ता को ले जाइए कहाँ 'बासित' दिमाग़-ए-नख़वत-ए-शीशा-गराँ नहीं मिलता