किसी ने कैसे ख़ज़ाने में रख लिया है मुझे उठा के अगले ज़माने में रख लिया है मुझे वो मुझ से अपने तहफ़्फ़ुज़ की भीक ले के गया और अब उसी ने निशाने में रख लिया है मुझे मैं खेल हार चुका हूँ तिरी शराकत में कि तू ने मात के ख़ाने में रख लिया है मुझे मिरे वजूद की शायद यही हक़ीक़त है कि उस ने अपने फ़साने में रख लिया है मुझे शजर से बिछड़ा हुआ बर्ग-ए-ख़ुश्क हूँ 'फ़ैसल' हवा ने अपने घराने में रख लिया है मुझे