किसी तरह भी तो वो राह पर नहीं आया हमारे काम हमारा हुनर नहीं आया वो यूँ मिला था कि जैसे कभी न बिछड़ेगा वो यूँ गया कि कभी लौट कर नहीं आया हम आप अपना मुक़द्दर सँवार लेते मगर हमारे हाथ कफ़-ए-कूज़ा-गर नहीं आया ख़बर तो थी कि मआल-ए-सफ़र है क्या लेकिन ख़याल-ए-तर्क-ए-सफ़र उम्र भर नहीं आया मैं अपनी आँख के रौज़न से देख सकता हूँ वो फूल भी जो अभी शाख़ पर नहीं आया अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत अभी हमारी दुआ में असर नहीं आया