कोई ताज़ा हो कि हो कोई पुरानी चाहिए वक़्त को आगे बढ़ाना है कहानी चाहिए तू मिरी दहलीज़ पर आ कर ठहर जाता है क्यों तू तो दरिया है तुझे तो बस रवानी चाहिए हाथ में जिस के भी देखो आग का कश्कोल है और हर इक कश्कोल को कुछ बूँद पानी चाहिए ज़िंदगी और मौत दोनों में है इक रंग-ए-करम तुम बताओ तुम को किस की मेहरबानी चाहिए दिल से मतलब है तिरे पैकर से मुझ को क्या ग़रज़ हुक्मरानी को मुझे इक राजधानी चाहिए