कोई आग लम्स की फेंक दे मिरे बंद बंद के सामने चले फ़िल्म कोई विसाल की दिल-ए-हिज्र-मंद के सामने ऐ हुनर-वरी तिरे इस्म चुप ये अमल रमल के तिलिस्म चुप ये हज़ार गुन से भरे हैं क्या किसी भाग-वंद के सामने खुली खिड़कियों के फ़्लैट से ज़रा झाँक शाम को रोड पर तिरे इंतिज़ार की मंज़िलें हैं मिरी कमंद के सामने बड़े मेख़ मेख़ उतार बम मिरे ज़ख़्म ज़ख़्म पहाड़ में कोई हैसियत नहीं मौत की किसी सर-बुलंद के सामने कई डाट काम नसीब थे जिसे बाम बाम मआश के वो मिनारा रेत का देवता था वो जल-पसंद के सामने