कोई भी बात मनाने में देर लगती है किसी को अपना बनाने में देर लगती है हमेशा ख़ुद को जताने में देर लगती है कोई मक़ाम बनाने में देर लगती है मकाँ को तोड़ना चाहो तो चार दिन काफ़ी मगर मकान बनाने में देर लगती है उजाड़ देते हैं शहरों को ज़लज़ले पल में और एक शहर बसाने में देर लगती है ये देखना है मिरी बात नागवार न हो कोई भी बात बताने में देर लगती है किसी को दोस्त बनाना 'कलीम' आसाँ है मगर इसी को निभाने में देर लगती है