कोई दरपेश जब सफ़र आया तेरा चेहरा भी बाम पर आया लग के चिलमन से झाँकना बाहर याद वो अध-खुला सा दर आया मेरे सय्याद को भी हैरत है क्यूँ न मैं भी लहू में तर आया देख सारे जहाँ को ठुकरा कर तेरा दीवाना तेरे घर आया तेरे दर से शिफ़ा मिले सब को इक 'उमर' ही शिकस्ता-तर आया