कोई धुन हो मैं तिरे गीत ही गाए जाऊँ दर्द सीने में उठे शोर मचाए जाऊँ ख़्वाब बन कर तू बरसता रहे शबनम शबनम और बस मैं इसी मौसम में नहाए जाऊँ तेरे ही रंग उतरते चले जाएँ मुझ में ख़ुद को लिक्खूँ तिरी तस्वीर बनाए जाऊँ जिस को मिलना नहीं फिर उस से मोहब्बत कैसी सोचता जाऊँ मगर दिल में बसाए जाऊँ अब तू उस की हुई जिस पे मुझे प्यार आता है ज़िंदगी आ तुझे सीने से लगाए जाऊँ यही चेहरे मिरे होने की गवाही देंगे हर नए हर्फ़ में जाँ अपनी समाए जाऊँ जान तो चीज़ है क्या रिश्ता-ए-जाँ से आगे कोई आवाज़ दिए जाए मैं आए जाऊँ शायद इस राह पे कुछ और भी राही आएँ धूप में चलता रहूँ साए बिछाए जाऊँ अहल-ए-दिल होंगे तो समझेंगे सुख़न को मेरे बज़्म में आ ही गया हूँ तो सुनाए जाऊँ