कोई दुश्मन नहीं होता बुरे हालात के पीछे कोई अपना ही होता है किसी भी घात के पीछे फ़क़त इतना कहा था ना हमें तुम से मोहब्बत है हमारी जान लोगे क्या ज़रा सी बात के पीछे तुझे मा'लूम है गोरी कि बारिश क्यों हुई उस दिन कोई अश्कों से रोया था तिरी बारात के पीछे शिकस्त-ए-फ़ाश दुश्मन ने हमें ऐसे नहीं दी है तुम्हारा हाथ लगता है हमारी मात के पीछे