कोई हंगामा उठाया जाए By Ghazal << मिरे नज्म-ए-ख़्वाब के रू-... पहला सा वो ज़ोर नहीं है म... >> कोई हंगामा उठाया जाए बे-सबब शोर मचाया जाए किस के आँगन में नहीं दीवारें किस को जंगल में बुलाया जाए उस से दो-चार बार और मिलें जिस को दिल से न भुलाया जाए मर गया साँप नदी ख़ुश्क हुई रेत का ढेर उठाया जाए Share on: