कोई जल्वा तेरा ऐसा नहीं है मेरे दिल ने जिसे परखा नहीं है न जीवन में किसी से रूठना तुम तुम्हें इस ग़म का अंदाज़ा नहीं है यक़ीं मानो उड़ा है चैन दिल का तुम्हें जिस रोज़ से देखा नहीं है तुम्हारा फ़ैसला तुम को मुबारक मगर रिश्ता मिरा कच्चा नहीं है ये माना भूलना फ़ितरत है तेरी किसी को भूलना अच्छा नहीं है कभी मैं याद भी आ जाऊँ तुम को ज़ियादा सोचना अच्छा नहीं है मिरी आँखों से मंज़र देख ले तू तिरी आँखों ने जो देखा नहीं है लगन सच्ची रिफ़ाक़त और उल्फ़त ये कच्चे सूत का धागा नहीं तुझे हर ज़ाविए से परखा मैं ने कोई पहलू तेरा खोटा नहीं है निखारा इश्क़ की अग्नी ने उस को ये 'कुंदन' हो गया सोना नहीं है